धार्मिक संस्थाओं से चिकित्सा क्षेत्र में क्यों नही लेते  सहयोग

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    फरीदाबाद के   सेक्टर-88 में 133 एकड़ क्षेत्र में बनने  वाले  अमृता अस्पताल का प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने  उद्घाटन किया। इस अवसर पर हरियाणा के के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ,मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल सहित कई गणमान्य मौजूद रहे। यह एशिया का सबसे बड़ा  और अत्याधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल होगा। ये अमृतामठ की संस्थापिका मां माता अमृतानंदमयी (अम्मा)  के कुछ भक्तों के प्रयास की देन है। उन्होंने मां के फरीदाबाद के एक  कार्यक्रम में   यहां अस्पताल बनाने का अनुरोध किया था। इस तरह के अपने प्रदेश में अस्पताल बनाने के प्रयास यदि मुख्यमंत्री स्तर से  और राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री स्तर से किए  जाएं  तो  देश के  मठ , धार्मिक पीठ ,धर्मगुरू और धर्माचार्यों के  सहयोग से चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा  काम हो सकेगा। सरकारी धन  के बिना आम आदमी को उच्चस्तरीय  उपचार उपलब्ध कराया  जा सकता  है। सरकारी धन का उपयोग हम  देश के  अन्य प्राथमिकता   वाले क्षेत्रों पर कर सकेंगे।

    इस फरीदाबाद के अमृता  अस्पताल को चलाने वाले अमृता मठ की संस्थापिका मां माता अमृतानंदमयी (अम्मा)  द्वारा दी गई  जानकारी के अनुसार  पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद इस अस्पताल में 2600 बेड होंगे। इनमें 534 क्रिटिकल केयर बेड शामिल हैं। अस्पताल में 64 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर होंगे। अस्पताल में एक पूरी मंजिल मां और बच्चों की देखभाल के लिए समर्पित होगी। अस्पताल को पूरी तरह तैयार करने में छह हजार करोड़ का रूपया खर्च आएगा। अमृता हॉस्पिटल का लक्ष्य पूरे उत्तर और उत्तर पूर्व भारत में रोगियों को सबसे सस्ती या  मुफ्त सेवाएं प्रदान करना है। अस्पताल के एक बार पूरी तरह से शुरू हो जाने के बाद 10 हजार कर्मचारी और 800 से ज्यादा डॉक्टरों को रोजगार देगा।अस्पताल में 2500 पैरा मेडिकल स्टाफ  भी काम करेगा। (अम्मा) ने बताया कि अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह  अस्पताल अमृता मठ के सहयोग से बना है। सरकार से कोई मदद नहीं ली गई है, जो मरीज इलाज की कीमत देने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें मुफ्त या कम शुल्क में उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।अमृता अस्पताल  के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजीव के सिंह ने पत्रकारवार्ता में दावा किया कि यह एक अस्पताल विश्वस्तरीय संस्थान होगा। उन्होंने कहा  कि अस्पताल अत्याधुनिक चिकित्सा अनुसंधान का भी एक मजबूत क्षेत्र होगा। इसमें सात मंजिल की इमारत में फैले एक समर्पित अनुसंधान ब्लॉक के साथ कुल तीन  लाख वर्गफुट में विशेष ग्रेड ए से डी जीएमपी प्रयोगशाला के साथ नए डायग्नोस्टिक मार्कर, एआई, एमएल की पहचान करने और जैव सूचना विज्ञान आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।उन्होंने कहा मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों के प्रशिक्षण के लिए अस्पताल में एक चार मंजिला अत्याधुनिक रोबोटिक्स, हैप्टिक, सर्जिकल-मेडिकल सिमुलेशन सेंटर होगा।  अस्पताल परिसर में एक हेलिपैड और 498 कमरों वाला गेस्ट हाउस भी है। गैस्ट  हाउस में मरीजों के साथ आने वाले उनके अटेंडेट रह सकेंगे।

    ज्ञातव्य है कि माता अमृतानंदमयी देवी द्वारा 1998 में कोचीन में  स्थापित, अमृता हॉस्पिटल्स ने पहले ही स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है। यह दक्षिण एशिया के प्रमुख अस्पतालों में से एक है। यह   12 सुपर स्पेशियलिटी विभाग और 45 अन्य विभागों के साथ उच्चतम गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है। अमृता अस्पताल अपनी धर्मार्थ चिकित्सा देखभाल के लिए भी जाना जाता है। इसने अब तक 43.3 लाख से अधिक रोगियों का मुफ्त इलाज किया है, इस पर अब तक 600 करोड़ से अधिक खर्च किए हैं। वर्ष 2016 में, अमृता हॉस्पिटल्स को फिक्की द्वारा रोगी सुरक्षा और चिकित्सा नवाचार के लिए “स्वास्थ्य देखभाल उत्कृष्टता पुरस्कार” मिला।कोचीन परिसर के अलावा, अमृता अस्पताल एक कई  धर्मार्थ अस्पताल भी चलाता है।  इनमें से तीन केरल , एक मैसूर  और एक अंडमान द्वीप समूह में चल रहा हैं।

     फरीदाबाद के इस  बने अस्पताल की नींव 2008 में पड़ी । नौ मार्च, 2008 को सेक्टर-12 के हुड्डा ग्राउंड में माता अमृतानंदमयी का आध्यात्मिक शिविर लगा था। इसमें समाजसेवी प्रमोद गुप्ता और मजिस्ट्रेट बी. दिवाकर ने अम्मा के समक्ष यह मांग उठाई थी कि उनका मठ दक्षिण भारत की तरह दिल्ली के नजदीक फरीदाबाद में भी एक बड़ा केंद्र बनाए। यहां चिकित्सा की विश्वस्तर की सुविधा दी जाए।  माता अमृतानंदमयी (अम्मा)  ने   इनकी बात स्वीकार कर ली। तभी से इस अस्पताल पर काम शुरू हो गया। समाजसेवी प्रमोद गुप्ता मजिस्ट्रेट बी. दिवाकर  द्वारा  दिया गया सुझाव आज फलीभूत हो गया।

    देश के  धर्मगुरू, शंकराचार्य ,पींठ ,धार्मिक मठ गुरूद्वारे मिशनरीज और अन्य धार्मिक स्थल पहले ही शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा  कार्य कर रहे हैं।   किंतु  उनकी ये संस्थाए  उनके अपने मुख्यालय तक ही सीमित हैं।देश में बहुत ही जगह आज भी ऐसी हैं  जहां दूर −दूर तक स्तरीय चिकित्सा  सुविधा  उपलब्ध नहीं। यहां  चिकित्सा  सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत है। प्रदेश सरकार अपने प्रदेश की जरूरत का मैप तैयार करें।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्मगुरू,शंकराचार्य, पीठ ,सिद्ध स्थल , गुरूद्वारे चर्च र्और धार्मिक  अखाड़ों के गुरूओं के साथ बैठक कर देश की स्वास्थय  सेवा में विस्तार के लिए  उनसे आग्रह करे,  चिंहित स्थल पर इन्हें जगह निशुल्क या बहुत सस्ते दाम पर उपलब्ध  कराए  तो  बहुत बड़ा  काम हो  सकता  है।  इन संस्थाओं के स्वामी और अधिष्ठाता इस प्रकार के जनहित के कार्य करने को सदा तैयार रहतें हैं। उन्हें सिर्फ  प्रेरित करने की जरूरत है।  उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ विश्व प्रसिद्ध  पीठ  गोरखधाम के खुद ही महंत हैं।  उनका साधु −संतो  में बड़ा  प्रभाव है।वह इस कार्य में रूचि  लेकर प्रदेश की चिकित्सा और शिक्षा के लिए इस तरह प्रयास करें तो सरकारी धन के प्रयोग  के बिना भी बड़ा काम किया जा सकता है।

     अस्पताल के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी है धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं द्वारा  शिक्षा और स्वास्थय से जुड़ी जिम्मेदारियों के निर्वहन  की व्यवस्था  पुराने समय से ही है और यह पीपीपी मॉडल ही है। लेकिन  इसे   परंपरागत प्रयास के तौर पर देखते हैं ।उन्होंने कहा कि राज्य अपने स्तर से व्यवस्था खड़ी करते रहते हैं। बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों के निर्माण में भूमिका निभाते हैं ।साथ  ही  धार्मिक संस्थाएं भी इसका एक महत्वपूर्ण केंद्र होते हैं । उन्होंने कहा कि आज देश भी यह कोशिश कर रहा है पूरी निष्ठा और ईमानदारी से देश के स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र  का कायाकल्प करें । इसके लिए  संस्थाओं को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है । उनके  साथ साझेदारी का प्रभावी पीपी मॉडल तैयार हो रहा है ।

    अब तक पीपी माडल की बात  उद्योगपतियों के  साथ  चलाने की रही है। उद्योगपति  अपना हित देखते  हैं। वे जनहित भूल जाते है।नाम चैरिटी अस्पताल होता है,  जबकि  चैरिटी  के नाम पर कुछ नही किया  जाता।यहां  बिना पैसे वाले गरीब भटकते घूमते हैं।हालाकि सरकार  ने गरीबों को पांच लाख के निशुल्क  उपचार की व्यवस्था   करके बड़ा  काम किया है। फिर भी अभी   समाज को जरूरत है। अभी तक अस्पताल की अच्छी व्यवस्था  देश में नही है।अच्छे और चैरेटबिल अस्पताल की अभी  बड़ी  जरूरत है। इसके लिए बड़े मठ, गुरूद्वारे ,धर्म पीठ और धर्म गुरू  बड़ा  सहयोग कर सकतें हैं।

    अशोक मधुप

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